भोपाल। देश में जल बचाने, जल संरक्षण, संवर्धन और शुद्धिकरण को लेकर देशभर के जलसंसाधन या पानी से संबंधित विभागों के मंत्रियों का सम्मेलन राजधानी भोपाल में चल रहा है। सम्मेलन का शुभारंभ कल जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। आज इसका समापन शाम पांच बजे होगा।
जल प्रशासन विषय पर महत्वपूर्ण सत्र सुबह आयोजित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। जल प्रशासन विषय का मकसद केंद्र की पहल पर विभिन्न राज्यों को साथ लाना, ताकि जल सेक्टर में भिन्नता को समाप्त किया जा सके। इस सत्र में राज्यों को साथ लाने, पानी बचाने, पानी को लेकर होने वाले विवादों के समाधान और जल संरचनाओं को बचाने, संवारने और उनके संरक्षण को लेकर राज्यों को मिलकर काम करने की साझा रणनीति विकसित करने पर बल दिया गया।
जल और भूजल की गुणवत्ता पर विचार-
चौथे विषयगत सत्र में देश में जलवायु परिवर्तन के मौजूदा परिदृश्य का समाधान करना तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिये जरूरी उपाय करने पर विमर्श चल रहा है। दोपहर बाद पांचवें सत्र जल की गुणवत्ता पर होगा, जिसमें पेयजल, सतह पर मौजूद जल और भूजल की गुणवत्ता की समस्याओं पर विचार किया जायेगा।
वहीं कल शाम के सत्र में प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने प्रदेश के जल संरक्षण और संवर्धन को लेकर प्रजेंटेशन देते हुए बताया कि विभाग ने बीते दो साल में जल संरक्षण से जुड़े 126 नए प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, इनमें 4 वृहद्, 10 मध्यम और 112 लघु सिंचाई परियोजनाएं शामिल हैं।
केन बेतवा राष्ट्रीय परियोजना-
सभी प्रोजेक्ट की कुल लागत 6 हजार 700 करोड़ रुपए है। परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी तो इनसे 3.34 लाख हेक्टेयर जमीन में नई सिंचाई क्षमता विकसित हो जाएगी। मंत्री सिलावट ने केन बेतवा राष्ट्रीय परियोजना से मप्र को होने वाले फायदों के बारे में बताया। सिलावट ने निर्माणाधीन कारम डेम के क्षतिग्रस्त होने की आशंका के बाद बिना जनहानि के डेम से पानी निकालने को आपदा प्रबंधन के मॉडल के रूप में पेश किया।