नई दिल्ली । महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में प्रबल दावेदार निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन ने उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन करते हुए चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए पदक पक्के किये। इन दोनों के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियन नीतू गंघास (48 किलो) और अनुभवी स्वीटी बूरा (81 किग्रा) भी अंतिम चार में पहुंच गयीं।
निकहत ने थाई लैंड की चुथामाट को 5-2 से हराया
नये वजन वर्ग में खेलते हुए मौजूदा चैंपियन निकहत (50 किग्रा) ने थाईलैंड की चुथामाट रकसात को 5-2 से हराकर अपना दूसरा विश्व चैंपियनशिप पदक पक्का किया, जबकि लवलीना (75 किग्रा) ने मोजाम्बिक की एडोसिंडा राडी ग्रामाने पर 5-0 से जीत हासिल की। वहीं भारत के लिए साक्षी चौधरी (52 किग्रा) और पिछले चरण की कांस्य पदक विजेता मनीषा मौन (57 किग्रा) अंतिम चार चरण तक पहुंचने में विफल रही। राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता जैसमीन लम्बोरिया (60 किग्रा) और नुपूर श्योराण (़81) को भी हार सामना करना पड़ा।
सेमीफाइनल में इंग्रिट से होगा निकहत का मुकाबला
निकहत का सामना अब सेमीफाइनल में कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया से होगा जो रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता हैं। हरियाणा की 22 वर्ष की नीतू रिंग में उतरने वाली पहली भारतीय रहीं, उन्होंने दूसरे राउंड में आरएससी (रेफरी के द्वारा मुकाबला रोके जाना) के आधार पर जापान की माडोका वाडा को हराया। इस तरह उन्होंने अपने और भारत के लिये कम से कम एक कांस्य पदक पक्का किया।
पहला मुकाबला खेल रही स्वीटी ने भी दर्ज की जीत
वहीं टूर्नामेंट में अपना पहला मुकाबला खेल रही स्वीटी ने अपनी शीर्ष वरीयता के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए 2018 कांस्य पदक विजेता बेलारूस की विक्टोरिया केबिकावा पर 5-0 से जीत हासिल कर विश्व चैंपियनशिप का अपना दूसरा पदक पक्का किया। उन्होंने 2014 में रजत पदक जीता था।
नीजू ने आएससी से जीते तीनों मुकाबले
नीतू ने पूरी आक्रामकता के साथ खेलते हुए विरोधी पर जमकर घूंसे बरसाये। रेफरी ने मुकाबला रोककर नीतू के पक्ष में फैसला दिया । नीतू ने तीनों मुकाबले आरएससी फैसले पर जीते हैं। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, ‘मुझे सतर्क रहना था और आक्रामक नहीं हो सकती थी। लेकिन मुकाबले के अंत में मैंने सोचा कि मैं ऐसा कर सकती हूं। अपने तीनों मुकाबले ‘आरएससी’ से जीतने का यही फायदा है कि मेरी प्रतिद्वंद्वी अब दबाव में होंगी।’
वहीं कई बार की राष्ट्रीय चैम्पियन स्वीटी को पहले दौर में बाई मिली थी, वह पदक से महज एक जीत दूर थीं और इस 30 साल की मुक्केबाज ने आसान जीत से पदक पक्का कर दिया। दोनों ‘लाइट हेवीवेट’ मुक्केबाजों के बीच मुकाबला शरीर पर हमले करने वाला ज्यादा रहा। स्वीटी ने अच्छा बचाव करते हुए हमला किया और आसानी से मुक्के जड़े।
साक्षी को चीन की खिलाड़ी से मिली हार
साक्षी को चीन की यु वु से 0-5 से हारी जबकि मनीषा को फ्रांस की अमीना जिदानी से 1-4 से शिकस्त मिली। जैसमीन फिर क्वार्टरफाइनल से आगे नहीं पहुंच सकी और कोलंबिया की पाओला वाल्डेज से 0-5 से जबकि नुपुर कजाखस्तान की लज्जात कुगेबाएवा से रिव्यू में 3-4 से हार गयीं।