भोपाल। 83वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन और भारत में विधायी निकायों के सचिवों का 59वां सम्मेलन दिनांक 10 जनवरी से 13 जनवरी तक जयपुर में आयोजित किया जा रहा है। मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम अभा पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं, वहीं विधानसभा के प्रमुख सचिव ए.पी.सिंह भी सचिवों को सम्मेलन में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सम्मेलन के पहले दिन विधानसभा अध्यक्ष गौतम एआईपीओसी की स्थाई समिति की बैठक में स्थाई समिति के सदस्य के रूप में शामिल हुए। इस समिति के अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला है एवं उपाध्यक्ष राज्यसभा के उपसभापति हरवंश हैं। बैठक में मप्र विधानसभा अध्यक्ष गौतम के साथ ही राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी, मेघालय विधानसभा अध्यक्ष मेताभ लेंगदोह, झारखंड विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र नाथ मेहतो, तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावू, असम विधानसभा अध्यक्ष विस्वजीत दाइम्रे, गुजरात विधानसभा अध्यक्ष शंकर चैधरी एवं लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह शामिल हुए।
बैठक में गौतम ने विधानसभा को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने का मुद्दा उठाया-
बैठक को संबोधित करते हुए मप्र विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इस बात पर बल दिया कि सदन की वर्ष में निधार्रित बैठकें अवश्य होना चाहिए, कम से कम 60 दिन साल में सदन अवश्य चलना चाहिए। गौतम ने विधानसभा को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने का मुद्दा भी बैठक में उठाया, उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई कमेटियों की रिपोर्ट भी आ चुकी हैं किंतु अभी तक राज्य सरकारों ने इस पर पालन नहीं किया है।
गौतम ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में कई संकल्प और प्रस्ताव होते हैं, लेकिन उन पर अनुपालन सरकारों के माध्यम से ही संभव है, इसलिए यह भी जरूरी है कि माननीय लोकसभा स्पीकर की अध्यक्षता में उनका भी सम्मेलन बुलाया जाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष बिरला में बैठक में कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा के अनुरूप ई-विधान से सभी राज्यों की विधानसभाएं जल्द से जल्द जुड़ जाएं।
अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन-
बुधवार को माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मुख्य आथित्य में अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। बैठक में जी-20 में लोकतंत्र की जननी भारत का नेतृत्व, संसद एवं विधानमंडलों को अधिक प्रभावी, उत्तरदायी एवं उत्पादकतायुक्त बनाने की आवश्यकता, डिजीटल संसद के साथ राज्य विधानमंडलों का संयोजिकरण, संविधान की भावना के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता विषय पर चर्चा होगी।