भोपाल। मुकद्दस महीना रमजान गुरुवार रात को इस माह की खास इबादत तरावीह के साथ शुरू हो गया। राजधानी की मस्जिदों में नमाजियों की बढ़ी हुई तादाद के लिहाज से इंतजाम कर दिए गए हैं। इधर, शहर पर रमजानी रौनक दिखाई देने लगी है। हर तरफ सिर्फ रमजान, रोजे, नमाज, तरावीह और सेहरी अफ्तार का जिक्र सुनाई पड़ रहा है। बाजार खरीदारों से गुलजार दिखाई दे रहे हैं। राजधानी के मुस्लिम बहुल इलाकों में नमाजियों, खरीदारों, दुकानदारों का हुजूम दिखाई दे रहा है।
शहर की कमोबेश सभी मस्जिदों में गुरुवार रात को तरावीह की शुरुआत हो गई है। यहां के रिवाज के मुताबिक कहीं 3 दिन तो कहीं 15 और 20 दिन में मुकम्मल का सिलसिला शुरू हो गया है। जबकि कुछ मस्जिदों में 27 दिन में ये प्रक्रिया पूरी होगी।
बाजार हुए गुलजार
पुराने शहर के इब्राहिमपुरा, नदीम रोड, काजी कैंप, लक्ष्मी टॉकीज, शाहजहानाबाद, जहांगीराबाद, बुधवारा, इतवारा समेत बाजारों में इन दिनों खरीदारों का हुजूम उमड़ा हुआ है। लोग सेहरी अफतार के लिए खानपान की चीजों के अलावा रमजान के लिए जरूरी सामान खरीदने में जुटे हुए हैं। शहर में कई जगह अस्थाई दुकानों से नूक्ति खारे, दूध फैनी, बाकर खानी, तंदूरी पराठा, शिरमाल आदि की बिक्री हो रही है। इधर, शहर के कई स्थानों पर फ्रूट की दुकानें भी बढ़ गई हैं।
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इस रमजान होंगे पांच जुमा
शुक्रवार से शुरू हो रहे रमजान माह के दौरान कुल 5 जुमा अदा किए जायेंगे। 24 और 31 मार्च के बाद ये 7, 14 और 21 अप्रैल को होंगे। इसके बाद शनिवार या रविवार को ईद का त्योहार मनाया जाएगा। राजधानी भोपाल में रमजान के आखिरी जुमा को अलविदा जुमा के नाम से जाना जाता है। इसे यहां छोटी ईद का खिताब हासिल है। इसके लिए लोगों की तैयारी ईद की तरह ही होती है।
माह ए रमजान : मैं और मेरा रमज़ान
(जैसा कि काजी ए शहर जनाब सैयद मुश्ताक अली नदवी ने बताया।)
हर मुस्लिम बालिग और मर्द पर रमजान माह के रोजे फर्ज किए गए हैं। हर तंदुरुस्त इंसान को इसका एहतमाम करना चाहिए। बतौर काजी ए शहर मेरी हर दिन की मसरूफियात बंधी हुई हैं। माह ए रमजान में इनमें और इजाफा हो जाता है। कजियात के हर दिन के काम रमजान में भी जारी रहते हैं। इसके अलावा पूरे महीने बाद नमाज़ ए जौहर दरस ए कुरान का सिलसिला कई बरसों से जारी है। इसके अलावा शहर की मुख्तलिफ मस्जिदों में होने वाली तिलावत, बयान और तकरीरों में भी आना जाना लगा रहता है। इन सब कामों के साथ रोजा, नमाज, तिलावत और जिक्र का मामुल बना हुआ है। आज की मसरूफ जिंदगी में सभी को दुनियावी काम हैं, लेकिन वक्त का मैनेजमेंट करने की जरूरत है। दुनिया के कामों से ज्यादा हम ईमान वालों पर आखिरत की तैयारी और अल्लाह एवं उसके रसूल के हुक्मों की पाबंदी करना भी लाजमी है। जो दुनिया में आया है, उसे लौटकर अल्लाह की तरफ जाना है। वहां के फैसले इंसान के दुनियावी आमाल पर ही होना हैं। इसलिए जरूरी है कि बिना किसी बड़ी मजबूरी के रोजे की पाबंदी न छोड़ें। पूरे माह नमाज, तिलावत, तरवीह को तरजीह देकर अदा करें।
इस मुकद्दस महीने में कसरत से दुआएं करें, यह मकबुलियत के करीब होती हैं। गरीब, जरूरतमंद और मजबूर लोगों की मदद और खिदमत से खुदा को खुश करने की कोशिश भी इस महीने में की जाना चाहिए। किसी मजबूरी की वजह से रोजा न रख पाने वाले कम से कम इसका एहतराम जरूर करें। आम गुजर वाली जगहों और रोजादारों के सामने खानपान से परहेज करें। इस महीने में खास तौर से मस्जिद, घर और कारोबार में ही गुजारें। बेवजह बाजारों की रौनक न बनें। खासतौर से पटियों पर रातें गुजारने से बचें। इस बात का खास ख्याल रखें कि हमारी वजह से किसी को कोई परेशानी न हो।